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| पंचम भाव और आपका प्यार |
♦️पंचम भाव में राहु की अन्य ग्रहों के साथ युति और आपका प्यार
♦️ राहु - सूर्य - जातक को ऐसे व्यक्तियों से प्यार हो सकता है जिनके पास उच्च आधिकारिक प्रोफ़ाइल,उच्च स्तरीय मैनेजमेंट या सरकारी कनेक्शन हो। जातक ऐसा साथी चाहता है जो ऊंचे और शक्तिशाली पदों पर हो।
♦️ राहु - चंद्रमा - जातक को ऐसे लोगों से प्यार हो सकता है जिनमें पालन-पोषण या देखभाल करने के गुण हों। जातक में मातृतुल्य गुणों का अभाव हो सकता है इसलिए वह केयर के गुण को अपने प्रेमिका या प्रेमी में खोजेगा। कभी-कभी जातक उस व्यक्ति के प्रति अत्यधिक आकर्षित हो जाता है जिसमें थोड़ी सी भी देखभाल और प्यार की झलक दिखे।
♦️राहु - मंगल - अगर किसी शुभ ग्रह से इस युति का संबंध नहीं है तो जातक बुरे लोगों के प्रेम में पड़ सकता है। पार्टनर के शारीरिक गुण अच्छे हो सकते हैं लेकिन व्यवहार अच्छा नहीं होता है। जातक को अपने प्रेमी/प्रेमिका के कारण कई विवादों, अन्याय और अशिष्ट व्यवहार का सामना करना पड़ सकता है, फिर भी जातक अपने प्यार से से चिपका रह सकता है। शुभ ग्रहों के साथ संबंध कुछ शांति या स्थिरता दे सकते हैं।
♦️ राहु - बुध - बुद्धिमान और चतुर लोगों के प्रति आकर्षण होता है,जो संवाद कुशल और चुटकुले बनाने, मज़ाक़ करने में में बहुत अच्छे होते है।कुछ हद तक कम उम्र के लोगों के प्रति भी प्रेम आकर्षण दे सकता है।
♦️राहु - बृहस्पति - अत्यधिक जानकार, आध्यात्मिक और अनुसंधान आधारित लोगों के प्रति आकर्षण। प्रेम पार्टनर को विभिन्न परंपराओं, रीति-रिवाजों और शास्त्रों का अच्छा ज्ञान हो सकता है। यह युति गुरुओं या मार्गदर्शकों के प्रति आकर्षण भी दे सकता है। जातक को एक ऐसे साथी की आवश्यकता हो सकती है जो जीवन भर उसका मार्गदर्शन कर सके।काम्या वैदिक एस्ट्रो की पोस्ट।
♦️ राहु - शुक्र - करिस्मेटिक , शानदार व्यक्तित्व और ग्लैमर वाले व्यक्ति के प्रति आकर्षण। पार्टनर के सामने खुद को पेश करने का कोई अलग या अनोखा तरीका हो सकता है। बाहरी दिखावा और पैसा प्यार का कारण हो सकता है। व्यक्तित्व आकर्षक हो सकता है और लोगों के समूह के प्रति आकर्षण हो सकता है।
♦️ राहु - शनि - व्यावहारिक, तार्किक और जमीन से जुड़े लोगों के प्रति आकर्षण देता है। या तो परिपक्वता से या उम्र से थोड़ा बड़े व्यक्ति के प्रति आकर्षण देता है। जातक स्थिरता और लम्बे समय के लिए जीवन में प्रतिबद्धताएँ चाहता है। जातक को निर्णय लेने में काफी समय भी लग सकता है।
♦️राहु भी अपने स्वभाव/राशि के स्वामी के अनुसार प्रभाव देता है। राहु उस ग्रह से संबंधित कुछ नई और विदेशी चीजें भी जोड़ देता है।
♦️प्रेम के मामले में विचार करने के लिए दूसरा मुख्य बिंदु कुंडली में शुक्र की स्थिति है।
अगर शुक्र कुंडली में केंद्र या त्रिकोण में बलवान स्थिति में है तो जातक के प्रेम जीवन में स्थिरता होती है।
अगर शुक्र नीच, अस्त या वक्री है, तो 5वें भाव में राहु का प्रभाव अधिक हो सकता है और जातक के प्रेम जीवन में अधिक उठा पटक हो सकती है।
♦️अगर शुक्र 6, 8 या 12वें भाव में हो तो कुछ समस्याएं निश्चित रूप से हो सकती हैं जैसे संघर्ष, मनमुटाव, अचानक भूत-प्रेत जैसा मामला या अपने प्रियजनों एकाएक दूर जाना।
शत्रु राशि में स्थित शुक्र भी प्रेम जीवन में कलह और परेशानियां देता है।
♦️पंचम भाव में राहु के अलावा पंचम भाव के स्वामी की स्थिति,ग्रहों की युति, दृष्टि की भी सूक्ष्म परिक्षण कर लेना चाहिए।
♦️ पंचम भाव में राहु जरूरी नहीं कि सब कुछ बिगाड़ दे। शुभ ग्रहों के साथ संबंध जातक की बहुत अच्छी और मजबूत प्रेम कहानियां और सफल विवाह भी करवा सकता हैं।
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