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शादी_का_रिश्ता_होते_होते_क्यो_रुक_रहा_है

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 |#शादी_का_रिश्ता_होते_होते_क्यो_रुक_रहा_है?|     


      कब_और_कैसे_होगी_शादी? शादी/विवाह जो एक ऐसा जीवन का सच है जो गृहस्थ जीवन जीने के लिए जरूरी है।कई लोगो के साथ कई बार ऐसी स्थिति बनती है कि शादी का रिश्ता होकर टूट जाता है या शादी का रिश्ता देख जाने के बाद कोई उत्तर ही वापस शादी होने के लिए नही आता है।ज्योतिष आचार्य आनन्द जालान के अनुसार ऐसा तब ही होता है जब कुंडली का सातवां भाव/सातवे भाव स्वामी(विवाह भाव/विवाह स्वामी ग्रह) की स्थिति शुभ नही होती और कही न कही विवाह स्वामी ग्रह या विवाह का भाव पाप ग्रहों जैसे शनि राहु केतु या अशुभ योगो ,अशुभ भाव स्वामियों 6, 8, भाव के स्वामियों के द्वारा पीड़ित होता है तब बार बार शादी के रिश्ते आने पर भी शादी होने तक बात नही पहुँच पाती और शादी के लिए कोई जबाब नही आता है और कई स्थितियों में बार बार शादी के रिश्ता होकर टूटता है यह सब स्थिति तब ही होती है जब सातवाँ भाव/सातवे भाव का स्वामी अशुभ स्थिति में या पीड़ित होगा, खासकर अशुभ स्थिति गया छठे, आठवें भाव भाव के द्वारा पीड़ित होगा तब रिश्ता बार बार होकर टूटेगा/रिश्ता शादी का आने पर कोई जबाब वापस ह् आये शादी के लिए ऐसी स्थितियां बनती है लेकिन सातवे भाव का स्वामी अजर सातवाँ भाव+विवाह कारक लड़के की कुंडली में शुक्र और लड़की कुंडली में गुरु बलवान है तब देर सबेर उपरोक्त दिक्कत दूर हो जायेगी एक या दो बार होकर, अन्यता यदि विवाह सम्बन्धी ग्रह कमजोर है तब बार बार दिक्कत होगी ऐसी स्थिति में उपाय ही सफलता दे सकते है।अब कुछ उदाहरणों से समझते है उपरोक्त अथितियों को और कैसे यह दिक्कत दूर होती है और होगी आदि??                                                                            उदाहरण_अनुसार_मिथुन_लग्न1:- कुंडली में सातवे भाव का स्वामी गुरु/बृहस्पति बनता है अब गुरु बलवान हो लेकिन सातवे भाव में बिघ्न कारक ग्रह छठे घर का स्वामी यहाँ मंगल यहाँ आकर बैठ जाए और बलवान विवाह स्वामी गुरु पर भी राहु या शनि से पीड़ित हो जिससे अब क्या होगा की बार बार रिश्ता आयेगा और शादी के लिए रजामंदी मतलब शादी के लिए हाँ नही होगी ऐसी स्थिति में इन बिघ्न सम्बन्धी ग्रहो की शांति के उपाय जरूरी होंगे करने तब सफलता पूर्वक अच्छे से विवाह हो पायेगा।।                                                              उदाहरण_अनुसार_मकर_लग्न2:- मकर लग्न कुंडली में जैसे सातवे भावपति चंद्रमा होता है अब चंद्रमा यहाँ आठवे भाव में जाकर बैठ जाए और आठवे भाव के स्वामी सूर्य के साथ और सातवें भाव पर किसी शनि या मंगल या राहु या केतु की दृष्टि हो या बैठे हो सातवे भाव में यह ग्रह तब यहाँ रिश्ता होकर बार बार टूटेगा, विवाह होने में दिक्कते आयेगी।ऐसी स्थिति में उपाय ही विवाह होने में सफलता देगा।।                                        एक_उदाहरण से समझते है कब स्वयम थोडा इस तरह की दिक्कते होने के बाद विवाह हो जाता है?           
                                                          उदाहरण_अनुसार_कर्क_लग्न3:- कर्क लग्न कुंडली में सातवें भाव का स्वामी शनि होता है अब शनि मकर राशि अपने ही सातवे भाव में विराजित होगा और यहाँ शनि के साथ राहु भी बैठा हो तब दिक्कत उपरोक्त तरह की शादी होने में आएगी लेकिन ऐसे शनि पर बृहस्पति या शुक्र साथ हो या इनकी दृष्टि होगी तब छोटी मोटी उपरोक्त दिक्कते होगी लेकिन शादी हो आएगी कम दिक्कत से क्योंकि यहाँ शादी की स्थिति कुछ शुभ और बलवान है।।                                                            इस तरह से विवाह स्वामी ग्रह जितने ज्यादा बलवान होंगे शादी में उपरोक्त अशुभ प्रभाव होने पर परेशानियां कम होगी जबकि विवाह सम्बन्धी ग्रह कमजोर हुए तब समय आने पर भी दिक्कत होगी और जो ग्रह दिक्कत कर रहे है उनका उपाय समय रहते करने से शादी होने में होने वाली दिक्कते समाप्त होकर सुख से विवाह होगा।।

*कुंडली विश्लेषण और ज्योतिष* सम्बंधित समस्या के निवारण, अभिमन्त्रिक रत्न, हर एक तरह की असली माला, नव ग्रह शांति और सभी दोषों की शांति की पूजा आदि के लिए कॉल या व्हाट्सअप से संपर्क करें:-*

   

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